उत्तर गीता महाभारत के युद्ध में कुरुक्षेत्र में जो गीता ज्ञान का अमृत श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश किया था, वह गीता अर्जुन को विस्मृत हो गया। अर्जुन ने निवेदन क…
श्रीमद्भागवद गीता : यथारूप गीता मनुष्य के वृत्तियों के संघर्ष का चित्रण है। गीता स्वरूप तक दूरी तय करा करके अर्थात परमात्मा तक पहुंचाकर के मोक्ष प्रदान करती है, इसीलिए गीता को …
धर्म परिवर्तन समस्या- इस दशहरे के दिन 10,000 लोगों का धर्म परिवर्तन किया गया, धर्म परिवर्तन क्या है? हिंदू धर्म से जैन धर्म में परिवर्तित किया गया। क्या यह संभव है…
मेरे तो गिरधर गोपाल मीरा जी कहती है कि मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई , तात मात भ्रात बंधु अपनों ना कोई। यह मीरा का बोध है, ज्ञान है। गिरधर गोपाल माने वही कृष्ण नहीं ज…
महाभारत का सार श्रीकृष्ण एक योगेश्वर थे, एक सद्गुरू थे। अविनाशी, अव्यक्त परमात्मा उनमें व्यक्त था, इसीलिए श्रीकृष्ण निर्गुण ,निराकार अविनाशी परमात्मा हैं। श्रीकृष्ण…
ऐसे मिलेंगे कृष्ण प्रश्न - श्रीकृष्ण कैसे मिलेंगे? प्रश्न ये नहीं होना चाहिए कि श्रीकृष्ण मिल नहीं रहे? प्रश्न ये होना चाहिए कि हमें श्रीकृष्ण चाहिएँ कि नहीं चाहिए। जि…
डरो नहीं, भिड़ जाओ : श्रीमद्भागवत गीता श्रीमद् भगवत गीता का वास्तविक अर्थ यही है असत्य से , अधर्म से डरो नहीं , भिड़ जाओ। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बता दिया है कि आत्मा ही शाश्वत है ,सत्य है, …
श्रीमद्भागवत गीता भाग 2 जब आपका हृदय अनुराग से भर जाता है। जब आप अपने प्रति प्रेम पूर्ण हो जाते हैं। तब आपको अपनी खराब हालत साफ साफ दिखाई देने लगी हे कि आपकी हालत ठीक नहीं ह…
श्रीमद्भगवद गीता श्रीमद्भगवद्गीता का दो अर्थ है- आध्यात्मिक और सामाजिक। अर्थात गीता का उपयोग जितना साधकों के लिए उपयोगी है, उतना ही सामाजिक उत्थान के लिए भी आवश्यक है…
गीतांजली कर्म करने में लाभ-हानि, जीवन-मरण, विजय-पराजय, सुख-दुःख कुछ भी प्राप्त हो, परन्तु किसी भी प्राप्ति में ध्येय से विचलित होना अथवा अधीर और भयभीत होकर कर…
एक जन्माष्टमी ऐसी भी भगवत गीता में कृष्ण कहते हैं आत्मा ना तो कभी जन्म लेता है और ना ही कभी मरता है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि मैं अजन्मा हूँ। तो फिर जन्माष्टमी पर किसका जन…
क्या मरते समय भगवान काम आयेंगे? गीता का श्लोक है कि श्री कृष्ण कहते हैं, "अर्जुन! जो मरते वक्त मेरा स्मरण करते हैं वह मुझे प्राप्त होते हैं। लोग सोचते हैं कि जीवन भर मौज करें…
श्रीकृष्ण कैसे मिलेंगे? भगवत प्राप्ति श्रीकृष्ण कहते हैं कि अर्जुन जो भक्त मेरा आश्रय लेकर आराधना को मुझ में अर्पण करके अनन्य भाव से चिंतन करते हुए मुझे भजते हैं, ऐसे केवल …
धार्मिक भ्रान्तियाँ धर्म के नाम पर कुरीति महापुरुष और उनकी कार्य-प्रणाली- महापुरुष दुनिया में सत्य के नाम पर फैली और सत्य-सी प्रतीत होनेवाली कुरीतियों का शमन करके कल्या…
कर्मण्येवाधिकारस्ते कर्म क्या है ? कर्म को लेकर बड़े-बड़े विद्वान मोहित हैं। प्रायः लोग कहते हैं की संसार में जो कुछ तुम कर रहे हो वही कर्म है। फल की इच्छा को त्याग कर ज…
कर्मयोग का सिद्धांत कर्मयोग का सिद्धांत: कर्म क्या है? अकर्म क्या है? इस संसार में लोग भजन को छोड़कर कुछ न कुछ करते हीं हैं। सब अपने हिसाब से पुरुषार्थ ही तो करते हैं। …
ईश्वर अव्यक्त रूप से कर्ता ईश्वर अव्यक्त रूप से कर्ता है। अधिकांशतः हम लोग अपने पड़ोसियों से अथवा माता पिता सुना करते थे कि सब कुछ ईश्वर करता है। उसकी मर्जी के बिना एक पत्ता …
अहम् ब्रह्मास्मि त्वं चा कहने से कोई विद्वान नहीं होता अहम् ब्रह्मास्मि त्वं चा कहने से कोई विद्वान नहीं होता जीवन का मुख्य उद्देश्य, परम लक्ष्य आत्मज्ञान (आत्म-बोध) प्राप्त करना है। यह बहुत सरल है और अत्…