वेदांत दर्शन हम बेचैन इसलिए रहते हैं कि जो हमें चाहिए वो हमें मिल नहीं रहा। परंतु जो हमें चाहिए वह हमसे अलग भी नहीं है। हमें जो चाहिए वो असीम है , विराट है , अनंत…
परमात्मा कैसे मिलें ? परमात्मा कोई व्यक्ति या वस्तु तो हैं नहीं , जिन्हें आपको पाना है। परमात्मा को चाहने का अर्थ है कि समस्त चाहतों से निवृत्त हो गए। क्योंकि इच्छाओं ने ह…
हरि नाम है सहारा जिसे भूख लगती है, वह अन्न खुद ढूँढ लेता है, प्यासे को पानी की याद नहीं दिलाई जाती, क्या धूप से मारे हुए पथिक के लिए छाया दिखलानी पड़ती है? हरगिज़ नहीं।…
वेदांत वेदांत का रहस्य एक नास्तिक को छोड़कर, प्रायः हिन्दू, मुसलमान, ईसाई आदि सभी मज़हब वाले किसी-न-किसी रूप में ईश्वर को मानते हीं हैं और सभी का यह कथन है …
उपनिषद उपनिषद जिस प्रकार मकड़ी अपने भीतर से ही जाला उगलती है और फिर स्वयं ही निगल लेती है, जिस प्रकार पृथ्वी से वनस्पतियाँ उत्पन्न होती है, जिस प्रकार जीव…
निरालंब उपनिषद उपनिषद के मूल प्रश्न ब्रह्म क्या है ? ईश्वर कौन है ? जीव कौन है ? प्रकृति क्या है ? परमात्मा कौन है ? ब्रह्मा कौन है ? विष्णु कौन है ? रुद्र कौन है …
याज्ञवल्क्य ने मैत्रेयी से कहा याज्ञवल्क्य मैत्रेयी संवाद महर्षि याज्ञवल्क्य की दो पत्नियां थीं। ब्रह्मवादिनी मैत्रेयी और कात्यायनी । कात्यायनी का नाम गार्गी भी था। सामान्य स्त्री…
आत्म ज्ञान ऐ भोले जीव ! उठो ! जागो !! अज्ञान-निद्रा को त्यागो !!! प्यारे ! इस अज्ञान निद्रा में भ्रान्ति की शय्या पर पड़े हुए कब तक घर्राटें लगाते रहोगे ? पड़े-…
परमात्मा बाहर नहीं परमात्मा बाहर नहीं है इसलिए पूजा बाहर नहीं होती अज्ञान से उत्पन्न मोह द्वारा परमात्मा सदा छिपा हुआ है। जब तक मोह है तब तक परमात्मा हमसे छुपा हुआ है।…