Vedanta, Upnishad And Gita Propagandist. ~ Blissful Folks. Install Now

𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

एक जन्माष्टमी ऐसी भी

सभी को अर्जुन जैसी जन्माष्टमी मनानी चाहिए

 


भगवत गीता में कृष्ण कहते हैं आत्मा ना तो कभी जन्म लेता है और ना ही कभी मरता है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि मैं अजन्मा हूँ। तो फिर जन्माष्टमी पर किसका जन्म होता है? श्रीकृष्ण कहते हैं कि मेरा जन्म इन भौतिक आखों से नहीं देखा जा सकता क्योंकि मेरा जन्म और कर्म अलौकिक है, श्री कृष्ण ने कहा कि मेरा जन्म दिव्य है, इसे देखने वाला मुझे प्राप्त होता है तो लोगों ने उनकी मूर्तियां बना ली कर्मकांड रच लिया, पूजा करने लगे तथा आकाश में कहीं उनके निवास की कल्पना कर लिया। किंतु वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता। श्रीकृष्ण कहना चाहते थी कि अगर आप भी निर्धारित कर्म करें तो पाएंगे कि आप भी दिव्य हैं, आप भी वही हो जाएंगे जो श्रीकृष्ण हैं। आपको श्रीकृष्ण को अगरबत्ती लगाकर पूजा नहीं करनी है, बल्कि श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए आचरण को अपनी जीवन में उतार कर श्रीकृष्ण जैसा ही हो जाना है। श्रीकृष्ण आपके भीतर की वह संभावना है जो आप हो सकते हैं पर अभी हुए नहीं है। जन्माष्टमी इस बात का प्रतीक है कि कृष्ण का जन्म आपके भीतर हुआ है। आपने अपने जीवन में श्रीकृष्ण जैसा आचरण किया और आप श्रीकृष्ण ही हो गए। और श्री कृष्ण को जानने के लिए भगवत गीता को जाना पड़ेगा। बिना भागवत गीता जाने सबसे आप श्री कृष्ण तक पहुंची नहीं पाएंगे, श्रीकृष्ण हो जाने की बात तो दूर की है। गीता को समझने के लिए लिए गीता पर वीडियो देखिए यहां क्लिक कीजिए।

👇

भगवत गीता पर वीडियो देखें

बिना भगवत गीता को जाने और समझे आप कृष्ण को समझें नहीं पाएंगे कि कृष्ण वास्तव में कौन हैं? जन्माष्टमी का अर्थ है कि कृष्ण आपके भीतर उदित हो गए, आप कृष्ण जैसा आचरण करने लगे और अंततः आप कृष्ण ही हो गए। कृष्ण जन्म का वास्तविक अर्थ है कि कृष्ण आपके भीतर जन्म ले चुके हैं, अब आप कृष्ण जैसा जीवन जीने लगे। कृष्ण का अर्थ है सत्य। कृष्ण का अर्थ है परमात्मा। परमात्मा ही एकमात्र सत्य है , बाकी सब कुछ भ्रम है, माया है, झूठ है। 

जन्माष्टमी का ये अर्थ नहीं है कि छोटे से कृष्ण की मूर्ति को मक्खन चटा रहे हैं, और केवल कृष्ण कृष्ण कह रहे और बौराये घूम रहे हैं। जन्माष्टमी का अर्थ ये नहीं हुआ कि कृष्ण की मूर्ति को अगरबत्ती लगा रहे हैं, मिठाई चढ़ा रहे हैं, कृष्ण कृष्ण जप रहे हैं, दिवाली वाले बम फोड़े जा रहे हैं, मिठाइयां खाई जा रही है, शॉपिंग किए जा रहे हैं। अगर जन्माष्टमी पर ये सब किया तो कृष्ण का अपमान हो गया। जन्माष्टमी के दिन ये प्रण लो आज से दुर्योधन जैसा घमंड नहीं करेंगे, शकुनि जैसी चालबाजी नहीं करेंगे, धृतराष्ट्र जैसा मोह नहीं करेंगे, बल्कि आज से अर्जुन जैसा कृष्ण के हो जाएँगे, कृष्ण ही हो जाएँगे। ये हुआ जन्माष्टमी का सार्थक उपयोग।

कृष्ण को जाने : भगवत गीता पर वीडियो देखें

एक टिप्पणी भेजें

This website is made for Holy Purpose to Spread Vedanta , Upnishads And Gita. To Support our work click on advertisement once. Blissful Folks created by Shyam G Advait.