प्रश्न - श्रीकृष्ण कैसे मिलेंगे?
प्रश्न ये नहीं होना चाहिए कि श्रीकृष्ण मिल नहीं रहे? प्रश्न ये होना चाहिए कि हमें श्रीकृष्ण चाहिएँ कि नहीं चाहिए। जिसको दुनिया की 50 चीजें दिखती है उसको दुनिया की 50 जीचें मिल जाएंगी और जिनको केवल श्रीकृष्ण दिख रहे हैं उन्हें श्रीकृष्ण मिल जाएंगे। श्रीकृष्ण तो सदा रहते हैं। क्योंकि सत्य का कभी अभाव नहीं होता, श्रीकृष्ण कल भी थे, श्रीकृष्ण आज भी हैं, और श्रीकृष्ण कल भी रहेंगे। पूरे ब्रम्हांड का भी प्रलय हो जाए, तब भी कृष्ण रहेंगे, क्योंकि सत्य कभी मिटता नहीं। श्रीकृष्ण माने सत्य, श्रीकृष्ण के सिवाय जो कुछ दिख रहा है, ये सब मन का फैलाव मात्र है। श्रीकृष्ण इन भौतिक आंखों से तो नहीं दिखेंगे, लेकिन श्रीकृष्ण की वजह से हमारी आंखें जरूर सब कुछ देखती हैं। श्री कृष्ण कानों से सुनाई नहीं देंगे किंतु श्रीकृष्ण की वजह से कान सुनते हैं। वाणी से श्रीकृष्ण व्यक्त होंगे नहीं, परंतु वाणी का वक्त होना श्रीकृष्ण के होने का प्रमाण है। श्रीकृष्ण तो निरंतर हमारे हृदय में बैठे हुए हैं लेकिन हमें दिखाई नहीं देते क्योंकि हमने अपने ऊपर मोह, अज्ञान और अहंकार का पर्दा डाल रखा है। कृष्ण तो सबके लिए उपलब्ध है। परंतु जो श्रीकृष्ण को चाहेगा , उसे श्रीकृष्ण मिल जाएंगे। दुर्योधन के लिए भी कृष्ण मौजूद थे, लेकिन दुर्योधन ने कृष्ण को नहीं चुना था उसने नारायणी सेना चुनी थी।
आप में और दुर्योधन में कोई भेद नहीं है, क्योंकि आप श्रीकृष्ण से सब कुछ मांग रहे हो किंतु कृष्ण से कृष्ण को नहीं मांग रहे। अर्जुन ने चुना था कि कृष्ण चाहिए। इसीलिए अर्जुन को कृष्ण मिले। आप कह रहे हो कि आपको कृष्ण मिल नहीं रहे। लेकिन मैं कहता हूं यदि आप कृष्ण को चुनोगे तो कृष्ण मिल जाएँगे। और कृष्ण के मिलने का अर्थ यह नहीं हुआ कि केवल कृष्ण कृष्ण जप रहे हैं और बौराए घूम रहें है। कृष्ण मिलने का अर्थ है कि अब सत्य के लिए जी रहे हैं , धर्म के लिए जी रहे हैं मुक्ति के लिए जी रहे हैं, आत्मस्थ होकर जी रहे हैं।