Vedanta, Upnishad And Gita Propagandist. ~ Blissful Folks. Install Now

𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक
Upnishad

श्वेताश्वतर उपनिषद

प्रश्न्न - उपनिषद आरंभ करने से पहले शांति पाठ या शांति मंत्र क्यों आवश्यक है? अद्वैत : देखिए जो उपनिषदों में चर्चा होती है, गुरु शिष्य के बीच जो आध्य…

केनोपनिषद

प्रश्न्न : उपनिषदों शांति पाठ क्यों आवश्यक है? समाधान: उपनिषद कोई साधारण वार्तालाप या शब्द संग्रह नहीं है, बल्कि सब विद्याओं में श्रेष्ठ ब्रह्म विद्…

ईशावास्य उपनिषद

उपनिषद के ऋषि : ये सारा जगत अकारण नहीं है, जिस प्रकार गन्ने से बने शर्करे में गन्ने का रस व्याप्त उसी प्रकार उस परब्रह्म परमात्मा से उत्पन्न ये जगत ब…

केन उपनिषद

प्रश्न्न- हमारी इंद्रियां किसकी प्रेरणा से अपने अपने काम में संलग्न होती हैं? अर्थात परमदेव परमात्मा कौन है? उपनिषद के ऋषि: प्रिय आत्मन्! उस परम पु…

उपनिषद प्रवाह

एको देवः सर्वभूतेषु गूढः सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा । कर्माध्यक्षः सर्वभूताधिवासः साक्षी चेता केवलो निर्गुणश्च ॥ ( श्वेता० ६ ११)  अर्थ - 'वह ए…

तत्व बोध

प्रश्न्न - जब शास्त्रों में कहा गया है कि जप ,तप ,ध्यान, साधना इत्यादि से मोक्ष मिल सकती है तब आप क्यों कहते हैं कि ज्ञान के बिना मोक्ष नहीं मिलता? …

दिवाली : उत्सव से पहले बोध

हमारे जीवन में सत्य के आने पर , जो प्रकाश होता है उस प्रकाश को दिवाली कहते हैं। तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर चलो , झूठ से सत्य क…

योगवशिष्ठ सार : संक्षेप

याद रखो- मै ,तुम ,ये , वो, जगत इत्यादि जो कुछ भी दिखाई देता यह सब कल्पना मात्र है, यह निर्गुण, निराकार, सत्य ,सनातन ब्रह्म की अभिव्यक्ति मात्र है। इस…

दुखों से छुटकारा चाहिए ?

वस्तुतः हमारी इंद्रियाँ बहिर्मुखी हैं, इसीलिए हम बाहर की चीजों में सुख तलाश करते हैं। हमें लगता है कि हमें बाहर से कुछ मिल जाएगा, उसके बाद हम सुखी हो…

ये धर्म है ?

यह कौन सा धर्म है कि जिस प्रतिमा को दूध चढ़ाया जाता है और वो दूध पशुओं पर क्रूरता करके आ रहा है। जिस खीर और पूड़ी को प्रसाद में खा रहे हो ,पहले देख तो…

मेरे तो गिरधर गोपाल

मीरा जी कहती है कि मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई , तात मात भ्रात बंधु अपनों ना कोई। यह मीरा का बोध है, ज्ञान है। गिरधर गोपाल माने वही कृष्ण नहीं ज…

एक नवरात्रि ऐसी भी

पहली बात तो ये है कि देवी निर्गुण, निराकार ,अविनाशी, अजन्मा और अचल हैं। किंतु साधकों की वृत्तियों को नष्ट करने के लिए साधक के अंतःकरण में अवतरित होती…

परमात्मा कैसे मिलें ?

परमात्मा कोई व्यक्ति या वस्तु तो हैं नहीं , जिन्हें आपको पाना है। परमात्मा को चाहने का अर्थ है कि समस्त चाहतों से निवृत्त हो गए। क्योंकि इच्छाओं ने ह…

दुर्गा पूजा : नवरात्रि विशेष

प्रश्न- शक्ति(दुर्गा) कौन हैं? देवी दुर्गा जी के पूजा का वास्तविक अर्थ क्या है? समाधान - ब्रह्म एकमात्र सत्य है। सत्य ही शिव है। शिव का साकार रुप ही …

शुभ और अशुभ , पाप और पुण्य

प्रश्न- शुभ क्या है? अशुभ क्या है? पाप क्या है? पुण्य क्या है? पंडित या ज्योतिषी जिस शुभ तथा अशुभ या पाप तथा पुण्य को बताते हैं? क्या वही सत्य हैं या…

आत्मबोध

तपस्या करते करते अर्थात् अनेक प्रकार के कठिन व्रतादि करने से जिनके अन्तःकरण से - रागद्वेषादि दूर हो गये हैं, और पापों का नाश हो गया है, जिनकी चित्त क…

जिन्हें स्वयं से प्रेम हो

अधिंकाश प्रेमी और सगे संबंधी ,रिश्तेदार , जो आपको मिलते हैं,वो वही होते हैं , जिन्होंने प्रेम समझा ही नहीं। उन्होंने कभी स्वयं से ही प्रेम नहीं किया,…

अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है?

प्रश्न- अच्छे आदमी के साथ बुरा क्यों होता है? सत्य की राह पर इतने विघ्न क्यों होते हैं? उत्तर- अच्छे आदमी के साथ कुछ बुरा नहीं होता है अपितु आपने बुर…