उत्तर गीता महाभारत के युद्ध में कुरुक्षेत्र में जो गीता ज्ञान का अमृत श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश किया था, वह गीता अर्जुन को विस्मृत हो गया। अर्जुन ने निवेदन क…
मंदिरों, तीर्थों और स्मारकों का महत्व अद्वैत: वस्तुतः श्रुति कहती है कि भगवान सभी प्राणियों के हृदय में वास करते हैं। वैसे तो भगवान सर्वत्र हैं किंतु प्राप्ति के लिए हृदय में स्थित हैं। ज…
श्रीराम गीता : सार संक्षेप लक्ष्मण जी की निरपेक्षता श्रीराम जी एकांत में बैठे हुए थे। उसी समय लक्ष्मण जी वहाँ लक्ष्मण जी वहाँ आये और राम जी को भक्तिपूर्वक प्रणाम किया। लक्ष्मण…
श्रीमद्भागवद गीता : यथारूप गीता मनुष्य के वृत्तियों के संघर्ष का चित्रण है। गीता स्वरूप तक दूरी तय करा करके अर्थात परमात्मा तक पहुंचाकर के मोक्ष प्रदान करती है, इसीलिए गीता को …
ये धर्म है ? यह कौन सा धर्म है कि जिस प्रतिमा को दूध चढ़ाया जाता है और वो दूध पशुओं पर क्रूरता करके आ रहा है। जिस खीर और पूड़ी को प्रसाद में खा रहे हो ,पहले देख तो…
परमात्मा कैसे मिलें ? परमात्मा कोई व्यक्ति या वस्तु तो हैं नहीं , जिन्हें आपको पाना है। परमात्मा को चाहने का अर्थ है कि समस्त चाहतों से निवृत्त हो गए। क्योंकि इच्छाओं ने ह…
शिव गीता न कर्मकांड से मुक्ति मिलेगी, ना पूजा पाठ से मुक्ति मिलेगी , न दान से मुक्ति मिलेगी, न तप से मुक्ति मिलेगी, मुक्ति केवल और केवल ज्ञान से मिलती है। सं…
ऐसे मिलेंगे कृष्ण प्रश्न - श्रीकृष्ण कैसे मिलेंगे? प्रश्न ये नहीं होना चाहिए कि श्रीकृष्ण मिल नहीं रहे? प्रश्न ये होना चाहिए कि हमें श्रीकृष्ण चाहिएँ कि नहीं चाहिए। जि…
डरो नहीं, भिड़ जाओ : श्रीमद्भागवत गीता श्रीमद् भगवत गीता का वास्तविक अर्थ यही है असत्य से , अधर्म से डरो नहीं , भिड़ जाओ। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बता दिया है कि आत्मा ही शाश्वत है ,सत्य है, …
श्रीमद्भागवत गीता भाग 2 जब आपका हृदय अनुराग से भर जाता है। जब आप अपने प्रति प्रेम पूर्ण हो जाते हैं। तब आपको अपनी खराब हालत साफ साफ दिखाई देने लगी हे कि आपकी हालत ठीक नहीं ह…
श्रीमद्भगवद गीता श्रीमद्भगवद्गीता का दो अर्थ है- आध्यात्मिक और सामाजिक। अर्थात गीता का उपयोग जितना साधकों के लिए उपयोगी है, उतना ही सामाजिक उत्थान के लिए भी आवश्यक है…
हमारा प्रेम राधा कृष्ण जैसा? हम सभी ने जैसे अपने प्रेम की कल्पना की है, ठीक वैसे ही हम अवतारों के प्रेम की कल्पना कर लेते हैं। हमें लगता है जैसे हम लड़की पीछे पागल रहते हैं वैसे …
सनातन धर्म धर्म के नाम पर दुनिया में तरह-तरह की पूजा पद्धतियाँ, कर्मकांड, मान्यताएँ आदि प्रचलित है। हम धर्म के नाम पर किसी न किसी कुरितियों व रूढियों को जानते ह…
गीतांजली कर्म करने में लाभ-हानि, जीवन-मरण, विजय-पराजय, सुख-दुःख कुछ भी प्राप्त हो, परन्तु किसी भी प्राप्ति में ध्येय से विचलित होना अथवा अधीर और भयभीत होकर कर…
हमें दुख क्यों मिलता है? जब ईश्वर पूर्व कल्प के जीवों के कर्मानुसार अपनी मायावृत्ति के द्वारा नाम-रूपात्मक जगत् को रचकर तैयार कर देता है, तब उस जगत् की वस्तुओं में जीव सत्य त…
हर हर शंभू : शिव महादेव अध्यात्म में प्रतीक होते हैं। शिव किसके प्रतीक हैं? शिव सत्य के प्रतीक हैं। सत्य माने ब्रह्म। यदि आप उस सत्य को नहीं जानते, तो हर हर शंभू रटने से शिव…
ॐ का अर्थ और इससे लाभ अ, उ, म मिलकर ओम बनता है। अ जागृत अवस्था का प्रतीक है, उ स्वप्न अवस्था का प्रतीक है, म सुषुप्ति अवस्था का प्रतीक है। और ओम के बाद जो मौन स्थिति आती ह…
क्या मरते समय भगवान काम आयेंगे? गीता का श्लोक है कि श्री कृष्ण कहते हैं, "अर्जुन! जो मरते वक्त मेरा स्मरण करते हैं वह मुझे प्राप्त होते हैं। लोग सोचते हैं कि जीवन भर मौज करें…