Vedanta, Upnishad And Gita Propagandist. ~ Blissful Folks. Install Now

𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

धर्म परिवर्तन

सनातन धर्म का बहिष्कार करने वाले पहले अपना धर्म तो जान लो

समस्या- इस दशहरे के दिन 10,000 लोगों का धर्म परिवर्तन किया गया, धर्म परिवर्तन क्या है? हिंदू धर्म से जैन धर्म में परिवर्तित किया गया। क्या यह संभव है कि नहीं?
समाधान - पहली बात तो ये जान लो कि धर्म दो , चार, दस होते नहीं, धर्म एक ही होता है। समस्त मानव जाति का यही धर्म है मुक्ति की ओर बढ़ना, पूर्णता की ओर बढ़ना , आत्मा की ओर बढ़ना। जो अपना धर्म बदल रहे हैं, उन्हें भी धर्म से कोई सरोकार कभी था नहीं। धर्म को कभी बदला नहीं जा सकता। तो जो धर्म परिवर्तन कर रहे हैं या करवा रहे हैं, वह वही लोग हैं जिन्होंने धर्म को कभी समझा ही नहीं। उन लोगों ने रुढ़ियों, अंधविश्वासों, मान्यताओं को समझा है, धर्म को कभी समझा ही नहीं। ये वही लोग हैं जिनको धर्म से कोई सरोकार नहीं है। इन्हें केवल रुढ़ीयों, अंधविश्वासों और मान्यताओं से सरोकार है। जिस जैन धर्म की आप बात कर रहे हो उसमें गौतम बुद्ध क्या करते थे? गौतम बुद्ध ये करते थे कि चलो धर्म परिवर्तन करते हैं, संप्रदाय और जाति तुमने बनाई है , बुद्ध, महावीर राम ,कृष्ण ने नहीं। बुद्ध, महावीर , नानक , राम , कृष्ण, यही करते थे कि चलो धर्म परिवर्तन करते है? बोलो ! बुद्ध , महावीर, राम , कृष्ण भी सोच रहे होगें कि हमने क्या कहा और इन मूर्खों ने क्या समझा?

हम और आप कौन हैं? अतृप्त चेतना, अपूर्ण अहंकार। चूँकि हम अतृप्त चेतना हैं इसलिए हमारा धर्म यही होगा - तृप्ति की ओर बढ़ना। चूँकि हमें हमारी वृत्तियों ने बंधन में रखा है इसीलिए हमारा एक ही धर्म है- मुक्ति की ओर बढ़ना, आत्मा की ओर बढ़ना। आत्मा ही शाश्वत, सनातन है। जब आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकते , जल गीला नहीं कर सकता , वायु सुखा नहीं सकता, अग्नि जला नहीं सकती, वही एकमात्र सत्य है। आत्मा ही शाश्वत, सनातन, विकाररहित ,अमृतस्वरूप , अचल ,अद्वैत, असंग है। तो धर्म कैसे बदल सकता है? धर्म कैसे नष्ट हो सकता है? संप्रदाय , जाति अंधविश्वास, रूढ़ियाँ बदलती है। धर्म को समझना हो तो पहले उपनिषदों और गीता के पास जाओ। अधिकांश जो हम धार्मिक जीवन जीते हैं, वो गीता के एकदम विरुद्ध है , उपनिषदों के एकदम विरुद्ध है। धर्म परिवर्तन में जो भी लोग सम्मिलित है वह वही लोग हैं जिनका धर्म से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है। उन्हें ना उपनिषदों से मतलब, ना गीता से मतलब। उनका सिर्फ और सिर्फ अंधविश्वासों, मान्यताओं , परंपराओं , रूढ़ियों, कुरीतियों से संबंध है। धर्म को समझने के लिए धर्म ग्रंथो से उलझना पड़ेगा , उनको समझना पड़ेगा। 
जब आपको उपनिषद समझ में आने लग गए , जब आपको गीता समझ में आने लग गई, तब आपको धर्म का वास्तविक ज्ञान होगा। अभी तो बस आप नाम के हिंदू हो। धर्म के वास्तविक स्वरूप को जानना हो तो उपनिषद और गीता को समझइए।

सनातन धर्म की वास्तविक स्वरुप को जानने के लिए गीता को समझना पड़ेगा। श्रीमद्भगवद्गीता पुस्तक फ्री में अपने घर मंगवाएं नीचे दिए गए लिंक कल करके फॉर्म भरे और 10 दिन में गीत अपने घर पाएँ।

गीता फ्री में मंगवाने के लिए फॉर्म भरें
👇👇👇👇

----------------------------------------------------

 इस अभियान को अधिक लोगों तक ले जाने के लिए तथा ऐसे ही लेख और उपलब्ध कराने के लिए आपका सहयोग जरूरी है। हमारे कार्य को सहयोग देने के लिए ऊपर दिख रहे विज्ञापनों (advertisement) पर क्लिक कीजिए, ताकि विज्ञापन से प्राप्त हुई राशि से वेदांत , उपनिषद और गीता को जन-जन तक पहुंचाया जा सके। ऊपर दिख रहे विज्ञापन पर क्लिक कीजिए। अधिक जानकारी के लिए " About " में जाएँ। धन्यवाद।

एक टिप्पणी भेजें

This website is made for Holy Purpose to Spread Vedanta , Upnishads And Gita. To Support our work click on advertisement once. Blissful Folks created by Shyam G Advait.