Vedanta, Upnishad And Gita Propagandist. ~ Blissful Folks. Install Now

𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक
संदेश

मंदिरों, तीर्थों और स्मारकों का महत्व

अद्वैत: वस्तुतः श्रुति कहती है कि भगवान सभी प्राणियों के हृदय में वास करते हैं। वैसे तो भगवान सर्वत्र हैं किंतु प्राप्ति के लिए हृदय में स्थित हैं। ज…

केनोपनिषद

प्रश्न्न : उपनिषदों शांति पाठ क्यों आवश्यक है? समाधान: उपनिषद कोई साधारण वार्तालाप या शब्द संग्रह नहीं है, बल्कि सब विद्याओं में श्रेष्ठ ब्रह्म विद्…

महावीर की शिक्षाएँ

संसार में अधिकांश लोग ऐसे ही होते हैं जिन्हें स्वयं का ज्ञान नहीं होता, कि वे कैसे आए हैं , कहाँ से आए हैं और मरने के बाद कहां जाएंगे? हममे से अधिकां…

ईशावास्य उपनिषद

उपनिषद के ऋषि : ये सारा जगत अकारण नहीं है, जिस प्रकार गन्ने से बने शर्करे में गन्ने का रस व्याप्त उसी प्रकार उस परब्रह्म परमात्मा से उत्पन्न ये जगत ब…

विवेक चूड़ामणि

आदि शंकराचार्य : मनुष्य शरीर जैसे दुर्लभ अवसर को पाकर जो मनुष्य मुक्ति के लिए प्रयत्न नहीं करता , वह निश्चय ही आत्मघाती है, हिंसक है। अपने आप को संसा…

मीरा के भजन

मीरा कोई व्यक्ति विशेष नहीं है। और जब मीरा कोई व्यक्ति विशेष है नहीं तो कृष्ण भी कोई व्यक्ति होंगे नहीं। अतृप्त अहंकार का नाम है मीरा। कृष्ण माने ब्र…

केन उपनिषद

प्रश्न्न- हमारी इंद्रियां किसकी प्रेरणा से अपने अपने काम में संलग्न होती हैं? अर्थात परमदेव परमात्मा कौन है? उपनिषद के ऋषि: प्रिय आत्मन्! उस परम पु…

महात्मा बुद्ध

सिद्धार्थ गौतम का जन्म लगभग 580 ई0 पू0 हुआ था, और वे कपिलवस्तु भारत में रहते थे। उनके पिता सुधोदन शाक्य वंश के मुखिया थे, वहीं से शाक्यमुनि नाम आया। …

उपनिषद प्रवाह

एको देवः सर्वभूतेषु गूढः सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा । कर्माध्यक्षः सर्वभूताधिवासः साक्षी चेता केवलो निर्गुणश्च ॥ ( श्वेता० ६ ११)  अर्थ - 'वह ए…

भजन दिपांजली

नर मूढ क्यों भुलाया, दिल में करो विचारा चिरकाल का नहीं है, सुत बँधवा-सहारा  'घी डालने से ज्योति , कबहूँ न शान्त होती  तृष्णा विशेष बढ़ती, भोग आदि…

मीरा बाई

प्रेम का दूसरा नाम मीरा है। मीराबाई की बड़ी निराली भक्ति है, उनका प्रेम अलौकिक है। कहा जाता है कि बचपन से ही मीरा कृष्ण प्रेम की दीवानी थी। मैंने सुन…

ईश्वर अन्यायकारी क्यों?

प्रश्न्न- ईश्वर ऐसा अन्याय क्यों किया करता है? अर्थात् वह किसी को तो राजा बना देता है और किसी को प्रजा। किसी व्यक्ति को धन-धान्य से परिपूर्ण कर देता…

वेदांत दर्शन

हम बेचैन इसलिए रहते हैं कि जो हमें चाहिए वो हमें मिल नहीं रहा। परंतु जो हमें चाहिए वह हमसे अलग भी नहीं है। हमें जो चाहिए वो असीम है , विराट है , अनंत…

कामवासना या परमात्म वासना

प्रस्तावना- नमस्कार! इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि कैसे एक भोगी राजा योगी बन गया। जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ भृतहरि की। उन्हें भी एक समय स्त्री …