महावीर की शिक्षाएँ संसार में अधिकांश लोग ऐसे ही होते हैं जिन्हें स्वयं का ज्ञान नहीं होता, कि वे कैसे आए हैं , कहाँ से आए हैं और मरने के बाद कहां जाएंगे? हममे से अधिकां…
पोथी पढ़ पढ़ जग मरा सूतजी ने कहा- अब मैं तुम्हें वह भक्तिपूर्ण कथानक सुनाता हूँ, जो श्रीशुकदेवजी ने मुझे अपना अनन्य शिष्य जानकर एकान्त में सुनाया था। एक दिन विशालापुरी म…
श्वेताश्वतर उपनिषद श्वेताश्वतर उपनिषद कृष्णयजुर्वेद के अन्तर्गत है । इसके वक्ता श्वेताश्वतर ऋषि हैं। उन्होंने चतुर्थाश्रमियों को इस विद्या का उपदेश किया था । यह बात इस …
एकलव्य एकलव्य निषादराज: बेटा ! तेरे दाहिने हाथ का अंगूठा क्या हुआ? तुमने इतना भयंकर रूप क्यों बनाया है ? क्या द्रोणाचार्य ने तुम्हें शिष्य नहीं बनाया ? पि…
कान फूकने वाले गुरु कान फूँक कर अपना पशु बना लेते हैं। साधु शब्द का इतना गलत अर्थ लिया जाता है कि भगवाधारी भिखमंगे को साधु कह दिया जाता है। किंतु आध्यात्मिक दृष्टि से स…
गुरुर ब्रह्मा गुरुर ब्रह्मा जनसामान्य की दृष्टि से गुरु और गोविंद अलग-अलग हो सकते हैं। किंतु आध्यात्म की गहराई से देखा जाए तो गुरु और गोविंद कोई दो नहीं बल्कि एक …