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𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

दूध, अंडा, माँस और हिंसा

इसे जान लेने के बाद दूध, माँस, अंडा छोड़ दोगे

प्रश्न्न - मनुष्य को माँस खाना चाहिए कि नहीं? इससे क्या पाप लगता है? हिंसा क्या है?

श्याम- संसार में मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जिसमें बोध होता है। मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जिसमें बोध है कि वो चुन सकता है कि क्या सही है? क्या गलत है? वनस्पतियों में केवल जल तत्व प्रधान होता है, जबकि पशु और पक्षी में जल, अग्नि, वायु , पृथ्वी, चार तत्व प्रधान होते हैं। और मनुष्य में पाँच तत्व प्रधान होते हैं, जिस जीव में जितने तत्व की प्रधानता होगी, उसको मारने में उतना ही पाप लगेगा। इसीलिए संत जन अपने शिष्यों को शुद्ध शाकाहारी रहने का निर्देश देते हैं। क्योंकि माँसाहार मनुष्य को पशुओं के स्तर पर ले जाता है।

प्रश्न्न- मांसाहार पर बहुत कुतर्क हैं।

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श्याम - कोई माँसाहार के पक्ष में कितने ही दलीलें क्यों न दे दे। परंतु सच तो यह है कि किसी भी जीव को मारने पर उसे कष्ट होता है, पीड़ा होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखा जाए तो माँसाहारी हमारी शरीर को अधिक नुकसान पहुँचाता है जबकि शुद्ध शाकाहारी लोग बहुत कम ही बीमार होते हैं। संतो ने तो ठीक ही कहा है कि भोग से रोग बढ़े और रोग से शोक बढ़े। डायबिटीस, शुगर, हार्टअटैक, बी पी, इत्यादि बीमारियाँ है। ये बीमारियाँ मनुष्य के अधिक उपभोग का ही परिणाम है।


प्रश्न्न- ये तो समझ में आ गया कि माँस ,मछली, अण्डे ,का सेवन नहीं करना चाहिए, इससे हिंसा तो होती ही है, बल्कि हमारे शरीर के लिए भी बहुत घातक है। परंतु आप कहते हैं कि दुध और उससे संबंधित उत्पाद का सेवन मत करो , दूध में क्या हिंसा और पाप है? स्पष्ट कीजिए।

श्याम- आप जाकर किसी डेरी उद्योग को देख लीजिए कि कितने क्रूरता और हिंसा से दूध निकाला जाता है? पोल्ट्री फॉर्म में जाकर देख लीजिए कि कैसे मुर्गियों से अण्डे क्रूरता करके निकाला जाता है। गायों और भैसियों को कृत्रिम रूप से गर्भ धारण कराया जाता है, उसके बाद अगर बछड़ा होता है तो उसे मरने के लिए बाहर ढकेल दिया जाता है, और अगर बछिया है तो उनके काम आ जाएगी, गाय बन जाएगी। अधिक दूध निकालने के लिए गायों और भैंसियों को तरह तरह के इंजेक्शन भी दिये जाते हैं, और जब गाय दूध देने बंद कर देती है और बूढ़ी हो जाती है तो उसे या तो मरने के लिए बाहर सड़क पर छोड़ दिया जाता है या फिर कत्लखाने में भेजकर कटवा दिया जाता है। और फिर उसका मीट बाजार में आता है। तो इसप्रकार पशुओं के ऊपर मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए क्रुरता करने से पीछे हटता नहीं है। 


प्रश्न्न- कुछ लोग कहते हैं कि अंडा शाकाहारी है?

श्याम - मुर्गी तुम्हें स्वेच्छा से अंडा देकर गई थे क्या? पहले जाकर किसी पोल्ट्री फॉर्म में देखो कि अंडा बनता कैसे है? कितनी पीड़ा और दर्द देकर मुर्गी से अंडा निकाला जाता है। 

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निष्कर्ष - दूध ,घी, बटर, दही, मांस ,मछली ,अंडा, का सेवन बंद करें और शुद्ध शाकाहारी ग्रहण करें।

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