काम से राम तक : भर्तृहरि स्वर्गीय सुख भी सीमित ही हैं। अंत में चल कर यह भी दखदायी सिद्ध होते हैं। जब बुरे कामों में भी दुख और अच्छे कामों में भी दुःख, स्वर्ग में भी दुःख और न…
काम क्रोध मोह लोभ 2.0 बुढ़ापे में शरीर के समान मन भी शिथिल हो जाता है। जवानी की तरंगें और उमंगें अब मन में नहीं उठतीं । विषयों के भोगने की इच्छा जाती रहती है। उसकी इच्छा र…
काम क्रोध मोह लोभ 1.0 शंकर भगवान वैराग्य के साक्षात् अवतार हैं। इसीलिए भर्तृहरि ने वैराग्य के लिए शंकर भगवान को आदर्श माना है। शंकर की उपमा ज्योति से दी गयी है। शंकर भगवान…