आध्यात्मिक भ्रांतियां
जो विज्ञान नहीं समझेगा, वह आध्यात्म कैसे समझेगा। अध्यात्म विज्ञान के आगे की बात है। लेकिन जब हमें विज्ञान का ज्ञान नहीं होता तो हमें कोई भी आकर अध्यात्म के नाम पर बेवकूफ बना देता है। अध्यात्म के नाम पर ना जाने कितने अंधविश्वास प्रचलित हैं जबकि उनका वास्तव में अध्यात्म से कोई संबंध नहीं होता। उन्हीं आध्यात्मिक अथवा धार्मिक भ्रांतियों पर हम आज प्रकाश डालेंगे। हम धर्म के नाम पर भिन्न भिन्न पूजा पद्धतियों को जानते हैं जबकि इनका धर्म से कोई संबंध नहीं है।
99% मान्यताएं जो आप अध्यात्म के नाम पर रखते हो वह अंधविश्वास ही है। कोई बिल्ली और नेवले के रास्ता काटने पर आगे नहीं बढ़ता, कोई कहता है उत्तर दिशा में सिर रखकर सोना नहीं चाहिए इससे दिमाग पर नुकसान होता है, कोई कहता है कि शनिवार और बृहस्पतिवार को नाखून नहीं कटाते, बाल और दाढ़ी नहीं कटाते, कोई कहता है शनिवार और रविवार को लोहा नहीं खरीदते, कोई कहता है कि स्त्रियों को मासिक धर्म मंदिर नहीं जाना चाहिए, कोई कहता है बेटा भगवत गीता ,अष्टावक्र गीता, उपनिषद, वेदांत मत पढ़ना बल्कि यह लो मैं तुम्हें लौंग पर मंत्र पढ़कर कर देता हूं इसको खाना घर में शांति आ जाएगी,
कोई कहता है मैं 33000 बार जन्म ले चुका हूं और 34000 बार मर चुका हूं, कोई कहता है अगर आप कद्दू का रस तांबे के लोटे में पूर्णिमा की रात को सफेद घोड़े को खिलाएंगे तो आपके घर में धन और समृद्धि आती है,कोई कहता है कि अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी आत्मा तुम्हारे शरीर से बाहर निकलकर टहले गाँजा फूँका करो, कोई कहता है कि अगर चाहते हो कि तुम्हारे जीवन में सुख और समृद्धि आए तो शनिवार के दिन पीपल को तांबे के लोटे में शहद घोलकर चढ़ाया करो, कोई कहता है कि लहसुन और प्याज खाने से तुम्हारे घर देवता नहीं आते हैं तुम्हारे घर लक्ष्मी नहीं आती है। कोई कहता है कि रात में झाड़ू मत लगाना, कोई कहता है कि मरने के बाद शरीर को अकेला मत छोड़ना है नहीं तो मुर्दा जिंदा हो जाएगा। कोई कहता है कि जब कोई मरता है तो उसके शरीर से उसकी आत्मा निकल भागती है, कोई कहता है कि बछिया दान करो यह तुम्हें भवसागर से पार कराएगी, कोई कहता है पिंडदान करो, कोई कहता है पोठी पाठ करो, कोई कहता है 10 उंगलियों में 11 अंगूठियां पहनों इसे तुम्हारी आत्मा शांति रहेगी, और ना जाने क्या-क्या अंधविश्वास धर्म और अध्यात्म के नाम पर प्रचलित है।
आपको वाकई लगता है ऐसा कुछ करने से कुछ होता है। जहां कहीं भी धर्म के नाम पर या अध्यात्म के नाम पर ऐसे अंधविश्वास देखो तुरंत वहां से निकल भागो। यह धर्म नहीं अंधविश्वास है। धर्म और अध्यात्म को जानने के लिए वेदांत, उपनिषद और गीता के पास जाना पड़ेगा।