विवाह करना: सही या गलत
मुझे तो यह बात बहुत चकित कर रही है कि लोग विवाह में इतने लोगों को बुला कैसे लेते हैं? बहुत निजी बात है। दो लोगों के बीच की बात है। आपने इतने लोगों को बुला कैसे लिया? आपको किसी से प्रेम हो गया है, बात सुंदर होनी चाहिए, बात पवित्र होनी चाहिए। बात सार्वजनिक नहीं हो सकती। अगर प्रेम को प्रदर्शित कर रहे हो, तो तुम्हारा कुछ अपना है कि नहीं? पर वही बात।
विवाह प्रेम से हो कहाँ रहा है? किसी को दहेज चाहिए, किसी को सेक्स चाहिए, किसी को सरकारी नौकरी वाला लड़का चाहिए। ऐसे तो शादियाँ हो रही हैं। विवाह पहले भी हुआ करतीं थीं। लेकिन पहले के विवाह आजकल की विवाह से लाख गुना अच्छा हुआ करता था। विवाह वासना पूरा करने के लिए नहीं होता है और ना ही दहेज के लिए होता है बल्कि विवाह मुक्ति के लिए होता है। आपको मोक्ष चाहिए। और आप जिससे विवाह करने जा रहे , उसको न तो मोक्ष से कोई प्रयोजन है और ना ही कृष्ण से कोई प्रयोजन है। ऐसे विवाह से अच्छा है संयासी ही हो जाना। कुछ लोग तो इस डर से विवाह कर लेते हैं कि जब मैं बूढ़ा होउँगा मेरे बच्चे एक रोटी का सहारा देंगे अर्थात मेरी सेवा करेंगे? पर होता उल्टा ही है। बच्चे वृद्धावस्था माँ बाप को वृद्ध आश्रम छोड़ आते हैं। किसकी संगति करने जा रहे हो? जिसके साथ पूरी जिंदगी बिताने जा रहे हो, जरा उसकी पहचान भी तो कर लो।विवाह से मुझको कोई आपत्ति नहीं है यदि आपका जीवनसाथी आपको मुक्ति की ओर लेकर जाए। बहुत अच्छी बात है यदि आपको ऐसा जीवनसाथी मिल जाये, जो आपको कृष्ण की ओर लेकर जाए , मुक्ति की ओर लेकर जाये।
तुम कुत्ता, बिल्ली, भेड़, बैल, आदि तो हो नहीं जो कैसा भी जीवन जी लोगे? तुम इंसान हो, तुम्हारा अधिकार है एक ऊंचा और सार्थक जीवन जीने का। कुत्ते , बिल्ली आदि को यदि मुक्ति ना मिले तो उनको बहुत ज्यादा क्षति नहीं पहुंचेगी। लेकिन तुम इंसान हो, तुम्हें मुक्ति चाहिए, तुम्हें आनंद चाहिए।
अच्छे लोग तुम्हें अच्छे नहीं लगेंगे। वह थोड़े ऊबाऊ से लगेंगे, लेकिन दूसरा कोई तरीका नहीं है एक ऊंचा और सार्थक जीवन जीने का। तुम्हें अच्छे लोगों की संपर्क में आना होगा।
विवाह के विषय में ये देखा गया है कि अगर लड़का सरकारी नौकरी वाला है अथवा मोटी कमाई करने वाला है, तो उसका विवाह के क्षेत्र में दाम(दहेज) बढ़ जाएगा। मुझे उन लोगों के बारे में कल्पना करने बड़ा मुश्किल होता है जो कहते हैं कि मैं तुम्हारे साथ जीवन भर साथ रहने के लिए राजी हूँ यदि मुझे इसके बदले पैसै मिलेंगें तो।
पहले विवाह मुक्ति में सहायक होती थी लेकिन अब मुक्ति में बाधा हैं और बंधनकारी हैं। इसलिए मैं विवाह के खिलाफ हूँ अन्यथा मेरा विवाह से कोई 36 आंकड़ा नहीं है।संसारी मनुष्य के लिए विवाह एक आवश्यक नर्क है। तुम मुझे बताओ कि तुम अपना समय कैसे बिताओगे? पत्नी रहेगी तो कम से कम सर फोड़ेगी। बच्चे रहेंगें तो उनका मल मूत्र साफ करना पड़ेगा। अविवाहित रहना फैशन की बात नहीं है। जिन्होंने अपना जीवन किसी सार्थक काम में झोंक दिया, केवल वो ही अविवाहित रहने का निर्णय करें। विवाह के बाद में जिंदगी नर्क हो जानी है। ये कौन सी जिंदगी है, जिसमें सुबह उठे , नहाया और खाया और फिर ऑफिस को चले गए, फिर शाम को आए , टीवी देखा, खाना खाये, किसी को नोचा खसोटा और सो गए। फिर सुबह वही क्रम। ये तो बहुत बेहोश लोगों का काम है कि सो गए। एक दिन तो ऐसा आएगा कि जब आंख खुलनी ही नहीं है। तब बता देना भैंसेवाले (यमराज) को कि हमने जीवन भर पुरुषार्थ किया फिर भी खाली हाथ जाना पड़ रहा है। जान बूझकर और आंख मूंद कर नादानी कीये जा रहे हो। बचपन तो खेल कूद में बीत गया और जवानी भी ढलती जा रही है। मौत सामने खड़ी है और हाथ में कुछ भी नहीं बचा।
जब जीवन में कृष्णत्व आएगा तभी तुम भी मीरा की भाँति कहोगे - मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई, तात मात , भ्रात बंधु अपनो न कोई। विवाह में लाखों दहेज लेंगे और बोलेंगे कि यह प्रेम का रिश्ता है। इसमें प्रेम कहाँ हैं? ये तो दहेज से खरीदा हुआ रिश्ता है।
आम संसारी लोगों के लिए विवाह एक जरूरत है। आध्यात्मिक लोगों के लिए विवाह नर्क है।