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𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

लल्लेश्वरी आपके चित्त में लगातार घूमने लगे

लल्लेश्वरी आपके चित्त में लगातार घूमने लगे

 लल्लेश्वरी आपके चित्त में लगातार घूमने लगे


जब आप कहते हो कि आपको स्त्रियां बड़ा सतातीं है , स्त्रियां बड़ा आकर्षित करतीं हैं। तो वास्तव में तुम किन स्त्रियों की बात कर रहे हो। 
दो कौड़ी की स्त्रियों की बात कर रहे हो। जो शरीर की अतिरिक्त कुछ है ही नहीं। दुनिया में एक- से एक प्रकाशित स्त्रियां हुई हैं। 
जाओ उन महान स्त्रियों को चाहो, बिल्कुल उनके प्रेम में पड़ जाओ , न्योछावर हो जाओ।
लेकिन तुम ऐसा नहीं करोगे क्योंकि तुम्हें ऊंची स्त्रियों से भय लगता है। मीरा के प्रेम में पड़ जाओ, झांसी की रानी के प्रेम में पड़ जाओ, मैडम क्यूरी के प्रेम में पड़ जाओ। लेकिन तुम ऐसा कभी करोगे नहीं।
जब तुम बोलते हो कि स्त्रियों का ख्याल मन में रहता है तो वास्तव में तुम्हे स्त्रियों ख्याल नहीं रहता बल्कि मांस का ख्याल रहता है। जैसे किसी मांसाहारी जीव को हर स्थान पर मांस ही मांस दिखाई पड़ रहा है। वैसे ही तुम्हें केवल स्त्रियों की शरीर ही दिखाई देते हैं।
अरे उस चमड़ी को क्या चाटना जिसके ठीक पीछे तमाम तरह के पित्त, मवाद, मल मूत्र और न जाने क्या गंदगी से भरी हुई। अंदर खूब गंदगी भरी हुई है केवल बाहर से चमड़ी की एक पतली चादर चढ़ी हुई है। उस चमड़ी को निकाल कर देखो अंदर कितना गंदा भरा है।
एक मशीन आता है शरीर के आंतरिक वस्तु को स्कैन कर लेता है। उस मशीन की दृष्टि चाहिए तुम्हे। कि जब तुम किसी सुंदर स्त्री को देखो तो उसके कपड़े, उसकी सुंदर त्वचा ना दिखे बल्कि शरीर के अंदर की गंदगी देखो फिर देखते हैं कैसे हावी होता है कामवासना?
जीवन में यदि कोई सार्थक बड़ा काम होगा तुम्हारे पास इन फालतू कामों के लिए समय ही नहीं बचेगा। तुम्हारा खाली समय ही इन फालतू इधर-उधर वासना में तुम्हें लिप्त करता है।
बात यह नहीं है कि वासना उठी और आसक्त हो गए। बात ये है कि तुमने स्वयं को खाली समय दे ही क्यों दिया। जैसे ही आपको खाली समय मिले आप अपना समय किसी सार्थक काम में लगा दीजिए। 
जब तुम्हारे पास फालतू का समय ही नहीं बचेगा तो फिर इन फालतू की चीजों का तुम्हारे जीवन में कैसे आगमन होगा? जीवन को वैभव से इतना भर दो कि इन तुच्छ वासनाओं के लिए समय ही ना बचे। यहां वैभव का अर्थ यह नहीं है कि खूब सारा धन संपत्ति हो। वैभव का अर्थ है कोई सार्थक काम , कोई शाश्वत काम।
जैसे पेड़ से टूटा हुआ पत्ता किसी ना किसी दिशा में गिरेगा ही गिरेगा। ठीक वैसे ही परमात्मा से बिछड़ा हुआ मन वाशना में लिप्त होगा ही होगा , परंतु किस प्रकार की वासना में होगा?  यह समय निर्धारित करेगा। यदि जवान हो तो कामवासना में और यदि वयस्क नागरिक को तो पैसे में आसक्ती होगी। और बुढे़ हो तो चिंताएं तुमको खोखला कर देंगी।
इसलिए पत्ते को जरुरी है कि वह पेड़ से संबंध बनाए रखें। अर्थात हर मनुष्य का परम कर्तव्य है कि वह ईस्ट से संबंध बनाए ही रखें यहां पर ईस्ट का अर्थ दिशा नहीं बल्कि इसका अर्थ परमात्मा है।
मन को वह तो देकर देखो जो मन को वास्तव में चाहिए फिर देखना मन भागा क्या किसी फालतू की वासना में?
बॉडी स्कैनर मशीन की दृष्टि एक अच्छा उपाय है वासनाओं से बचने का। क्योंकि इस दृष्टि से तुम्हें उस वस्तु का सच्चाई बता चलेगा जिसकी प्रति तुम इतने आकर्षित हुए जा रहे हो।
बॉडी स्केनर मशीन का अर्थ नहीं है कि तुम कोई उपकरण बना लो कि उसे सभी के शरीर ही स्कैन की जा रहे हो। इसका अर्थ जीवन में बोध होना चाहिए, स्पष्टता होनी चाहिए , शांति होनी चाहिए।

1 टिप्पणी

  1. मेरा आकर्षण समाप्त हुआ। धन्यवाद सर
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