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𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

शील संतोष क्षमा सत्य धारण करो

शील संतोष क्षमा सत्य धारण करो

शील संतोष क्षमा सत्य धारण करो


खाने के आधार पर इस पृथ्वी पर दो तरह के मनुष्य होते हैं। एक शाकाहारी होते हैं तो दूसरे मांसाहारी होते हैं। शाकाहारी चाहते है कि सारा संसार शाकाहारी हो जाए जबकि मासाहारी लोग शाकाहारी को घास फूस खाने वाले समझते हैं। क्या वास्तव में ईश्वर ने हमें मानव शरीर इसलिए दिया है कि हम दूसरे मूक जीवो को मारकर खा जाए? नहीं, कुदरत ने मांसाहारी जीवो को शारीरिक रूप से अलग ही पहचान दिया है, जिसमें मांसाहारी जीव पानी को जीभ से चाट कर पीते हैं, और उनकी आंख से अंधेरे में चमकतीं हैं, उनके दांत बड़े बड़े और नुकीले होते हैं, उनके नाखून भी नुकीले और तेज धार वाले होते हैं। क्या ऐसे लक्षण हम मनुष्यों में है? नहीं, ऐसे लक्षण हम मनुष्यों में नहीं है, तू फिर हम मांसाहारी क्यों हैं?
विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो मांसाहार हमारे लिए एवं इस प्रकृति के लिए बहुत घातक है। विज्ञान के अनुसार एक मनुष्य जो शुद्ध शाकाहार भोजन करता वो मांसाहारी लोगों की अपेक्षा अधिक समय तक जीवित रहता है और उसका स्वास्थ भी अच्छा होता है। इतना ही नहीं, मांसाहार से इस प्रकृति का खूब नुकसान होता है। एक रिसर्च के पता चला है कि पूरे विश्व जितना वाहनों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित नहीं होता है उतना वाहनों की अपेक्षा लगभग 4 गुना कार्बन डाइऑक्साइड केवल मांसाहार से उत्सर्जित होता है। पूरे विश्व में लगभग 20 से 25 फीसदी कार्बन डाइऑक्साइड केवल वाहनों से उत्सर्जित होता है जबकि लगभग 75 से 80 फीसदी केवल मांसाहार से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होता है। मनुष्य अपने स्वाद के लिए मूक जीवो की हत्या करता है। 
वैज्ञानिकों की एक रिसर्च बताती है कि जितनी तेजी से मनुष्य अन्य जीवों का अपने स्वाद के लिए हत्या कर देता है। यदि उतनी ही तेजी से मनुष्यों की करी जाए तो 19 दिन में पूरे धरती पर एक भी मनुष्य से नहीं बचेगा। 
जब हम किसी को जीवन नहीं दे सकते तो हमें किसी से जीवन छीनने का कोई अधिकार नहीं है।
ना केवल सामाजिक दृष्टि से अपितु वैज्ञानिक दृष्टि से भी मांसाहार हमारे लिए और प्रकृति के लिए अत्यंत हानिकारक है। 
शुद्ध शाकाहार से जीवन बिताया जा सकता है किंतु मांसाहार से नहीं। 
आप नियमित रूप से शाकाहार भोजन करते हैं तो आप जल्दी बीमार नहीं होंगे। जबकि लगातार माँस का सेवन करने से ना केवल आपकी आयु कम होगी अपितु आपका स्वास्थ भी घुटने टेक देगा अर्थात खराब हो जाएगा। 
स्पष्ट है कि मांसाहार की अपेक्षा शाकाहार मनुष्य के लिए लाभप्रद और कल्याणकारी है।
तुम कभी किसी जीव से प्रेम करके तो देखो फिर तुम आज तुम कभी मांस खा नहीं पाओगे।
किंतु तुम्हें तो प्रेम का प भी नहीं पता है तो फिर तुम प्रेम कैसे करोगे?
एक वो कृष्ण थे जिन्हें जीवों से बड़ा प्रेम था। और एक तुम हो जो जीवो पर अहिंसा करने के लिए तत्पर हो। कौन सा ईश्वर है अथवा कौन सा अल्लाह है जो किसी निर्दोष जीव की हत्या पर प्रसन्न होता है?
तुम यह कह नहीं सकते कि तुम अपने जिव्हा की स्वाद के लिए किसी निर्दोष जीव पर हिंसा कर देते हो।
हिंसा बंद करो। सभी जीवों से प्रेम करो। फिर मांस नहीं खा पाओगे।

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