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𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

धर्म के नाम पर कुरीति के शिकार

धर्म के नाम पर कुरीति के शिकार

धर्म के नाम पर कुरीति के शिकार


धर्म के नाम पर अनेक कुरीतियाँ प्रचलित हैं। किसी के नाक दबाने से धर्म नष्ट होता है और किसी की छूने से धर्म नष्ट होता है। यह धर्म नहीं है क्योंकि धर्म हमारी रक्षा करता है। वो धर्म हमारा क्या रक्षा करेगा जो स्पर्श मात्र से नष्ट हो जाता है। स्पष्ट है कि ये धर्म नहीं है। धर्म का वास्तविक अर्थ है एक परमात्मा की शोध। 
भारत ने काफी आध्यात्मिक उन्नति कर ली है। भारत में ऐसे ऐसे महान दार्शनिक और संत हुए हैं जिन्होंने आध्यात्मिक जगत् में क्रांति ला दी है। किंतु फिर भी अध्यात्म का भली भाँति प्रचार प्रसार ना होने के कारण अज्ञान में अपना डेरा डाल रखा है और भारतवासी कुरीतियों का शिकार हैं।
धर्म के नाम पर अनेक-अनेक भ्रांतियां प्रचलित हैं। सनातन धर्म वह धर्म है जो कि कभी नहीं बदलता। सनातन क्या है? सनातन है आत्मा। और इस प्रकार सनातन धर्म वास्तव में आत्मा का धर्म है। 
जीवन का एक मात्र उद्देश्य है– मुक्ति की ओर अग्रसर। और मुक्ति ही जीव का परम धर्म है। 
होली, दीवाली मनाओ और हिंदू कहलाओ। 
ऐसा लोगों में भ्रांतियां प्रचलित है। किंतु सनातन धर्म का केंद्रीय शास्त्र है भगवत गीता और उपनिषद।
आज के समय में जो हम जीवन जी रहे हैं वह सब गीता का विरोध करता है इस प्रकार वास्तविक रुप से हम सनातनी धर्मी नहीं हुए। जो भगवत गीता का पूर्णतया पालन करे तो वही कह सकता है कि वह सनातन धर्म का अनुयायी है। 
कृष्ण को अगरबत्ती , धूपबत्ती खूब लगाओगे किंतु कृष्ण की विरुद्ध ही खड़े रहोगे - ये कैसा धर्म है। कृष्ण के विरुद्ध खड़े होने का अर्थ है गीता के विरुद्ध जीवन जीना, उपनिषदों के विरुद्ध जीवन जीना। जो भगवत गीता का पालन नहीं करता उसका सनातन धर्म से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है।
धर्म के नाम पर बहुत अधिक कर्मकांड प्रचलित हैं। शिशु के जन्म होने पर अनेकों कर्मकांड और मृत्यु होने पर अनेकों कर्मकांड होता है। ये कर्मकांड भगवत गीता और उपनिषद में कहा लिखा है? जो भगवत गीता में नहीं लिखा है, हम उसे क्यों करें? 
तुमने ठान ही रखा है कि तुम्हें कृष्ण के विरुद्ध ही खड़े होना है।
 युद्ध तो सभी कर रहे हैं। किंतु कुछ लोग तो कृष्ण के पक्ष में हैं और बहुत लोग कृष्ण के विरुद्ध खड़े हैं। अर्जुन दूध के धुले नहीं थे , भीम दूध के धुले नहीं थे किंतु फिर भी भी कृष्ण के पक्ष में खड़े थे। 
 युद्ध में तो तुम खड़े ही हो, कृष्ण की सुनने लगो तो अर्जुन कहलाओगे और नहीं सुनोगे तो मारे जाओगे।

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