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𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

राम की अलौकिक सानिध्य

राम की अलौकिक सानिध्य

राम की अलौकिक सानिध्य



आजकल लोगों को श्रीरामजी कम पसंद आते हैं। इनको मेरे राम उबाऊ लगते हैं किंतु वास्तव में श्रीराम जैसा आदर्श पुरुष आज के समय में खोजने से भी नहीं मिलेगा। जिनको राम पसंद नहीं आते, वह लोग श्रीराम की तरह जीवन केवल एक सेकंड तक जी लें ,तो पूरे समाज के लिए बहुत बड़ी बात है। श्रीराम की एक भी खूबी आजकल के लोगों में मिलना असंभव है। अयोध्या जैसा राज्य, सोने जैसा शरीर, सीता जैसी पत्नी, नन्हें सुकुमार जैसे दो बालक, लंका जैसी विजय। श्रीराम जी सब कुछ त्यागते जा रहे हैं, हमसे तो नहीं सहन होता क्योंकि हम तो दो ग्राम सोना भी न छोड़ें और श्रीरामजी हैं, जो पूरी सोने की लंका ही छोड़ आए। ऐसे त्यागी रामजी हमें कैसे पसंद आएंगे? 
श्रीरामजी के जीवन में तुम क्या पाओगे? 
श्रीराम के जीवन में तुम त्याग, प्रेम, करुणा, क्षमा, धैर्य, शील , इत्यादि सब गुण पाओगे। 
श्रीरामजी के जीवन में तुम क्या नहीं पाओगे?
श्रीराम को भोग के प्रति लालायित नहीं पाओगे।
मेरे राम बड़े सरल स्वभाव के थे। सरल का अर्थ उबाऊ है। इसलिए तुम्हें मेरे राम तुम्हें उबाऊ लगते हैं। मेरे राम के जीवन में बड़ी सादगी है।
राम से सीखो प्रेम क्या होता है? राम से सीखो त्याग क्या होता है? सीता तो सिर्फ एक बहाना है। असली प्रेम तो राम और रावण का है, राम राम को पाना चाहता था। लेकिन रावण राम को साधारण तरीके से नहीं पा सका इसलिए लड़कर राम को पाना चाहता था। और रावण को मुक्ति तब हुई, जब उसके नाभि पर रामजी ने बाण चलाया। नाभि का अर्थ है केंद्रीय स्थान। 
रामजी की लीला बड़ी निराली है। आप बताओ क्या राम जी को नहीं पता था कि सोने का कोई मृग नहीं होता है? रामजी को सब पता था, किंतु यदि रामजी सोने के मृग के पीछे नहीं दौड़ते तो सीता का हरण कैसे होता ? और सीता का हरण नहीं होता तो फिर रावण का वध कैसे होता? रामजी का अवतार ही इसलिए हुआ था ताकि रावण जैसे आतातायी और अधर्मी का सर्वनाश हो सके।
श्रीरामजी को पाने का एक ही मार्ग है, दूसरी कोई भी विधि काम नहीं करेगी ,.जो श्रीरामगीता का अध्यन करेगा व पालन करेगा, वही राम को प्राप्त करेगा।

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