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𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

राम का सानिध्य रावण का समर्थन

राम का सानिध्य रावण का समर्थन

 राम का सानिध्य रावण का समर्थन





एक हिंदू धर्म की महिला ने कहा कि राम और कृष्ण से रावण बेहतर है। हमने पूछा क्यों? उसने कहा कि श्रीकृष्ण ने जिससे प्रेम किया उससे विवाह नहीं किया और श्रीराम ने गर्भवती सीता को वन में अकेला छोड़ दिया इसलिए ये दोनों मेरी दृष्टि में रावण की अपेक्षा कम प्रिय हैं। रावण ने भले ही सीता का हरण किया किंतु मंदोदरी को उसके हक वंचित नहीं किया। तो इस पर मैं उन मूर्ख और मक्खी की दृष्टि वाली औरतों से पूछना चाहता हूं कि तुम्हें श्रीराम में दोष नजर आता है, श्रीकृष्ण में दोष नजर आता है, लेकिन तुम्हें रावण जैसे महा कपटी में दुर्गुण व दोष नजर नहीं आता। तुम्हारी दृष्टि तो मक्खी की दृष्टि है, जिस प्रकार से मक्खी सारे साफ सुथरे स्थान को छोड़कर केवल गंदे स्थान पर आकर बैठती है, ठीक उसी प्रकार तुम्हें केवल राम में एक धब्बा मिल गया और तुम उसको लेकर बैठ गए, श्रीराम के जीवन की अन्य महत्वा और सदगुण दिखाई नहीं देते। राम के जीवन की महानता देखो और रावण के जीवन की हीनता देखो।
श्रीराम के जीवन में तुम पाओगे कि सांसारिक वस्तुओं अथवा भोगों के प्रति कोई उनका आशक्ति नहीं है। अयोध्या जैसा राज्य, सीता जैसी पत्नी, सुकुमार जैसे दो बालक, सोने की लंका, सब त्यागते ही जा रहे हैं। श्रीरामजी सब कुछ त्यागते जा रहे हैं। हमसे तो नहीं बर्दाश्त होता क्योंकि हम तो दो ग्राम सोना भी न छोड़ें और राम जी है जो पूरी सोने की लंका ही छोड़ आए। ऐसी त्यागी पुरुषोत्तम राम कैसे पसंद आएंगे तुम्हें?
रामजी ने बाली को कपट से मारा फिर भी वह पुरुषोत्तम क्यों कहलाए?
जो ईश्वर के अवतार हैं, वह सूर्य ,अग्नि और गंगाजल की भांति हैं। जैसे सूर्य की किरणें प्रत्येक स्थान पर पड़ती है अर्थात मल मूत्र और कंद मूल फल जैसी दोनों चीजों पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है, लेकिन इससे क्या सूर्य के प्रकाश में कोई कमी नहीं आती है। अग्नि में शव भी जलते हैं और हवन भी जलता है, परंतु इससे अग्नि अपवित्र नहीं होती। गंगाजी में नाना प्रकार के नदी और नाले आकर मिलते हैं लेकिन इस से गंगा की पवित्रता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अपितु यह सब अपने द्वारा गंदी चीजों का नाश और अच्छी चीजों का विकास करते हैं। ठीक उसी प्रकार रामजी तो अपनी मूल स्वरुप में है किंतु अपने द्वारा दुष्टों का संघार और सज्जन का उद्धार करते हैं। सुग्रीव सज्जन थे और बाली दुष्ट थे।
रावण के लाखों नाती श्रीराम को हराने में असमर्थ हैं, क्योंकि रावण अधर्म के पक्ष में युद्ध कर रहा है। श्री राम और लक्ष्मण थोड़े से वानर सेना से ही पूरी लंका पर विजय प्राप्त कर लिया क्योंकि वे धर्म के पक्ष से युद्ध कर रहे हैं। जिस व्यक्ति को श्रीराम में खोट (दोष) नजर आता है उन्होंने श्रीरामजी को अच्छी तरह से समझा नहीं है ,अच्छी तरह से जाना नहीं है, इसीलिए ऐसी बहकी बहकी और बचकानी बातें करते हैं। जिस दिन श्रीराम को पूर्णतया जान लोगे उसी दिन से रावण का पक्ष ले ना छोड़ दोगे। जहां कहीं भी अवतारों का उपहास किया जाता है, समझ लेना कि वह बहुत अनाड़ी है, उसे पूर्ण ज्ञान नहीं है।

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