Vedanta, Upnishad And Gita Propagandist. ~ Blissful Folks. Install Now

𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

संत का अचूक मंत्र

संत का अचूक मंत्र

संत का अचूक मंत्र




आज के युग में संत शब्द का बहुत ही गलत अर्थ लिया जाता है। आजकल के समय में भगवाधारी भिखामंगो को भी संत कह दिया जाता है। किंतु पारमार्थिक भाषा में संत शब्द का आशय उस व्यक्ति से हैं जिसने पर्याप्त आध्यात्म उन्नति कर ली है। वैसे तो भारत में साधुओं की संख्या लाखों-करोड़ों है। किंतु सच्चा साधु एक भी नहीं। आज की कलयुग में कान फूंकने वाले और ढ़ोंगी गुरुओं की कमी नहीं है। अब संतो की बात कर ही रहे हैं तो संत मत अर्थात संतो का मंत्र या शिक्षा के बारे में जान लेते हैं। बड़ा शोध करने के बाद संत लोग इस मुकाम पर पहुंचे हैं कि संसार का पालनकर्ता एक ही परमात्मा है। आज के लोग धर्म के नाम पर बहुत भेदभाव करते हैं। जबकि समस्त मानव जाति का एकमात्र धर्म है कि वह मुक्ति की ओर अग्रसर होकर जीवन यापन करें। लेकिन फिर भी धर्म के नाम पर अनेकों अनेक भ्रांतियाँ प्रचलित हैं। कोई तुम्हें धर्म के नाम पर पूजा पाठ सिखाता है, तो कोई तुम्हें नमाज करना सिखाता है। कोई मूर्ति पूजा को विशेष स्थान देता है तो कोई यज्ञ और अनुष्ठान को विशेष स्थान देता है, किंतु वास्तव में इन सबका धर्म से कोई संबंध नहीं है। संत का एक ही मंत्र है कि स्वयं को मुक्ति की ओर ले कर जाना, राम की ओर ले कर जाना। यदि तुम कृष्ण के पक्ष में नहीं हो तो फिर ,तुम अधिक से अधिक दान करलो, यज्ञ अनुष्ठान कर लो, सब व्यर्थ है। जैसे कर्ण बहुत बड़ा दानवीर था किंतु फिर भी वह महाभारत के युद्ध में कृष्ण के विरुद्ध खड़ा हुआ। 
हमें कृष्ण के पक्ष में खड़ा होना है - यही है संतो का उद्देश्य ।सम्मान प्राप्ति और समाज में अपनी पहचान की लालसा (इच्छा) वाला व्यक्ति ही कर्ण है। यह मत समझो कि महाभारत के सभी पात्र केवल उसी समय में थे। आज के इस युग में भी महाभारत के सभी पात्र मौजूद हैं। अनुराग ही अर्जुन है, द्वेत का आचरण ही द्रोणाचार्य है, कृपा का आचरण ही कृपाचार्य हैं, संयम ही संजय हैं, मोह और अज्ञान ही धृतराष्ट्र है, भ्रम ही भीष्म है जो अंत तक जीवित रहता है।

एक टिप्पणी भेजें

This website is made for Holy Purpose to Spread Vedanta , Upnishads And Gita. To Support our work click on advertisement once. Blissful Folks created by Shyam G Advait.