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𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

काम क्रोध मद लोभ विसारो

काम क्रोध मद लोभ विसारो शील संतोष क्षमा सत्य धारो

काम क्रोध मद लोभ विसारो




रावण के पास सोने की लंका थी। और स्वयं वेदों का ज्ञाता (विद्वान) था, लेकिन रावण का फिर भी काम कितना घिनौना था? दूसरी स्त्री पर गलत नजर। दुर्योधन के पास संपूर्ण हस्तिनापुर था लेकिन फिर भी दुर्योधन का काम कितना घिनौना था? कामवासना व्यक्ति की बुद्धि का नाश कर देता है। इसलिए कामवासना मनुष्य के लिए सबसे घातक साबित हुआ है। सोने की लंका होते हुए भी और स्वयं रावण विद्वान होते हुए भी कामवासना के कारण बुद्धि का क्षय हो गया और विनाश हो गया। 
इतिहास साक्षी है कि जब जब व्यक्ति पर कामवासना हावी हुआ है, तब तब उस व्यक्ति का विनाश हुआ है। कामवासना सबसे तीव्र है इसलिए इसे छोड़ पाना भी बहुत मुश्किल है। और सबसे बड़ी विजय अपने मन पर विजय पाना है। जो इच्छा रहित है वही सुखी है। अन्यथा सभी लोग अपनी आशाओं और तृष्णाओं के बंधन में बंधे हुए हैं। रावण ने सब पर विजय प्राप्त कर दिया था किंतु अपने इंद्रियों पर विजय प्राप्त नहीं कर पाया। इसलिए असली युद्ध हमें स्वयं से करनी है और हमें अपने इंद्रियों को वश में करना है, यही हमारी सच्ची जीत होगी। आज भी लोगों के पास बहुत धन संपत्ति होता है किंतु ज्ञान नहीं होता। वास्तव में ज्ञान ही सबसे बड़ी संपत्ति है। बिना ज्ञान के मनुष्य पशु के समान हैं। जिस प्रकार पशु खाते हैं, सोते हैं, और प्रजनन करते हैं, ठीक उसी प्रकार ज्ञान के बिना मनुष्य पशु की तरह कार्य करता है। और मनुष्य योनि श्रीमद्भगवद गीता रुपी ज्ञान का होना अनिवार्य है। अपने शारीरिक सुंदरता पर ज़रा कम ध्यान दो, ज्ञान में जोर दो, गुणों पर जोर दो। 
हम सभी को गीता रुपी ज्ञान का सहारा लेकर के अपने मन पर विजय पाना है। यही हमारे जीवन का उद्देश है।
जो नेता गण समस्त देश को संचालित करते हैं यदि वे ही भ्रष्ट हो जाए तो फिर जनता क्या करेगी? इसलिए चाहिए कि जो संचालक हो वह सही दिशा में हो।वो उन्नति की तरफ से जाए। यही एक उज्जवल देश का भविष्य है।

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