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𝗟𝗮𝗻𝗴𝘂𝗮𝗴𝗲

वेदांत , उपनिषद और गीता प्रचारक

मोह प्रबल प्यार निर्मल

मोह प्रबल प्यार निर्मल

मोह प्रबल प्यार निर्मल




क्या चाहिए स्वतंत्रता या सुरक्षा?

आपके सामने दो ही विकल्प है या तो आप स्वतंत्रता चुनें या फिर सुरक्षा। क्योंकि यह दोनों परस्पर विरोधी है। जो लोग भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्होंने दोनों में से स्वतंत्रता को चुना था।    
इसको उदाहरण से समझिए । कुत्ते दो तरह के होते हैं। एक कुत्ते होते हैं जिनके गले में पट्टा होता, उनके पास सुरक्षा होती है- बारिश में भीगने का डर नहीं , महंगे शैंपू पर नहाते हैं ,महंगे बिस्किट खाते हैं, कोई हिंसक जीव उन पर हमला ना करें इसलिए उसकी रखवाली के लिए लोग होते हैं, उनका जीवन का सुरक्षा से परिपूर्ण होता है। किंतु वास्तव में वे गुलामी ही कर रहे हैं, उन पट्टे वाले कुत्तों को यह छूट नहीं है कि वह कहीं भी आवारा की तरह विचरण कर सके। और दूसरे गली के कुत्ते होते हैं, जो स्वतंत्र होते हैं, भले ही भोजन का ठिकाना नहीं, घर का ठिकाना नहीं, जीवन का ठिकाना नहीं, किंतु जब तक जीते हैं, शेर की तरह आजादीपूर्ण जीवन जीते है। यह दोनों परस्पर विरोधी हैं।
पट्टे वाला कुत्ता सुरक्षित है लेकिन स्वतंत्र नहीं जबकि गली का कुत्ता स्वतंत्र है भले ही सुरक्षित नहीं।
दूसरे उदाहरण से समझते हैं-
पंछी दो तरह के जीवन जीते हैं।
एक पक्षी तो पिंजरे में रहते हैं जो सुरक्षित होते हैं।
और दूसरे अच्छी होते हैं जो खुली आकाश में स्वतंत्रतापूर्वक विचरण करते हैं।
उपरोक्त दोनों पक्षियों में एक ने आजादी को बेचकर सुरक्षा खरीद लिया जबकि दूसरे ने सुरक्षा को बेचकर आजादी खरीद लिया।
हमारे भारत के जो स्वतंत्रता सेनानी थे उन्होंने सुरक्षा को छोड़कर आजादी का रास्ता चुना।
आप स्वयं की जांच करो कि आप कौन सा रास्ता चुनें हो ? स्वतंत्रता का या सुरक्षा का? 
भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी सुरक्षा को त्याग कर आजादी का चयन किया। अगर उनको अपने जीवन से मोह होता तो हमारा भारत देश आजाद अभी तक नहीं होता। प्रेम स्वयं आजाद होता है और दूसरों को भी आजादी देता है। पक्षी को जो मजा खुले आकाश में स्वतंत्र विचरण करने में है वह मजा पिंजरे में नहीं है। आजादी ही है, जिसे चखने में बड़ा आनंद है।
जीवन में प्रेम है तो स्वतंत्रता है। स्वतंत्रता है तो आनंद है। यदि तुम गुलाब से प्रेम करोगे तो तुम रोज गुलाब के पौधे को पानी दोगे। लेकिन यदि तुम उससे मोह करोगे तो उस गुलाब को तोड़ कर अपने पास रखलोगे। एक आदमी ने कहा कि वह बरगद से बहुत प्रेम है। निर्गत की पेड़ को गमले में लगा रखा था। थोड़ा भी बरगद बढ़ता तो उसको काट देता। यदि वह वास्तव में बरगद से प्रेम करता तो उसको वहां स्वतंत्र छोड़ देता जहां उसकी यथार्थता है, जहां उसकी वृद्धि हो सके। जहां सच्चा प्रेम है वही स्वतंत्रता है। प्रेम और मोह में बहुत अंतर है।
जो भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे उनको अपनी जीवन से प्रेम था ना कि मोह। यदि उनको अपने जीवन से मोह होता तो भारत देश आजाद नहीं होता। बल्कि उनको अपने जीवन से प्रेम था इसलिए जीवन को उचित मूल्य देना था।
स्वतंत्रता ही एक भाव है जो सबको प्रिय होता है।
स्वतंत्रता और सुरक्षा एक दूसरे के विरोधी हैं। जो स्वतंत्र है वो सुरक्षित नहीं। स्वतंत्रता का मतलब प्रेम और सुरक्षा का मतलब मोह। वीरों को स्वतंत्रता से लगाव होता है न कि सुरक्षा से। क्योंकि आज वीरों को सुरक्षा से लगाओ हो जाए तो फिर वे वीर नहीं रह जाते। भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में ऐसे ऐसे महान युवा सेनानी थे जिनको छोटी उम्र में ही स्वतंत्रता से लगाओ था ,ना कि सुरक्षा से , ना की गुलामी से।
स्वतंत्रता ही यथार्थता है। आजादी तुम्हारे अंदर निहित है। जिस दिन तुमको पता चला कि तुम गुलाम हो उसी दिन के बाद तुम स्वयं आजादी की ओर भागोगे। जीव सीमाओं के साथ पैदा तो होता है लेकिन उसकी यथार्थता सीमाओं में रह जाना ही नहीं है बल्कि उसकी यथार्थ था सीमाओं से परे होना है। गुलामी तब तक पता नहीं चलेगी जब तक आजादी के लिए तत्पर ना हो जाओ। जो कमजोर है वहीं सुरक्षा चाहेगा । जो मजबूत है वह स्वतंत्रता चाहेगा।



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